दोस्तों छोटी सी शुरुआत बड़ी मंजिल तक ले जाती है बस जरूरत होती है संयम, खुद पर विश्वास और सही जानकारी की। इसको साबित कर दिखाया है नीलेश जी ने, जो कर रहे हैं 10 एकड़ ज़मीन में बकरी और भेड़ का पालन और यह एक बार लागत लगाने के उपरांत उन्हें मुनाफे पर मुनाफे दिए जा रहा है। तो आईए जानते हैं हम निलेश जी से इस शानदार फार्मिंग के बारे में
निलेश जी बताते हैं कि सन् 2010 में उन्होंने 100 बकरियों से इस फॉर्म की शुरुआत की जिसे धीरे-धीरे वे बढ़ाते रहे और आज 7 से 8 एकड़ के फॉर्म में 600 से 700 भेड़ बकरियों का पालन कर रहे हैं जिसमे साउथ अफ़्रीकन बोर तथा ड्रॉपर ब्रीड की भेड़-बकरियां है जो दूध और मीट के उद्देश्य से धनी है। ना सिर्फ उन्होंने खुद का इतना बड़ा सेटअप तैयार किया है बल्कि वे अन्य इच्छुक लोगों का भी मार्गदर्शन कर सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे है।
किसी भी कार्य में सफल होने के लिए एक सिस्टम और सही प्रबंधन की अवश्यकता होती है। जिसे हम नीलेश जी के इस शानदार प्रयोग से सिख रहे है। सर्वप्रथम इन्होंने अपने इस फॉर्म को चार पोर्शन में बांट रखा है। जिसमें पहले पोर्शन में बकरियों की ब्रीडिंग तथा डिलीवरी होती है। दूसरे पोर्शन में बकरियों को डिलीवरी के पहले तथा प्रेग्नेंट होने के बाद घूमने के लिए रखा जाता है। इन्होंने तीसरे पोर्शन को एक्सरसाइज पोर्शन बना रखा है जिसमें भेड़ तथा आम बकरियां होती है। तथा चौथे पोर्शन को फीड मैनेजमेंट अर्थात चारा, दाना भूसा आदि के लिए रखा है।
ब्रीडिंग तथा डिलीवरी वाले पोर्शन की संरचना:-
इस हाइजीनिक पोर्शन को 60 फीट लंबा तथा 100 फीट चौड़ा टीन शेड से बनाया गया है। यह एक तरह से दो मंजिला है। जिसमें पहली मंजिल जमीन से 8 फीट ऊंचाई पर एक तरह से लोहे की पट्टियों को वेल्ड कर छत बना रखी है और उसके ऊपर प्लास्टिक की जालीदार मैट बिछा दी है। अब भेड़ बकरी का मल मूत्र जाली के माध्यम से नीचे निकल जाता है जिसको बाद में ट्रैक्टर द्वारा इकट्ठा कर खाद के प्रयोग में ले लिया जाता है। अर्थात इससे सफाई करने में भी आसानी होती है। इस पोर्शन में इन्होंने 25×25 के 7 कंपार्टमेंट बना रखें है जिसमें लगभग 250 भेड़ बकरियां ब्रीडिंग-डिलीवरी के लिए तैयार है।
दूसरा पोर्शन पोर्शन की संरचना:-
100 फीट लंबा तथा 30 फीट चौड़ा है इसमें बकरी के 5-6 महीने के बच्चे मिश्रित रूप से रहते हैं जिसमें नारीस्वर्णा तथा बीटल ब्रीड मुख्य रूप से है। भेड़ों की डिलीवरी इसी पोर्शन में तथा बकरियों की पहले पोर्शन में होती है।
तीसरा पोर्शन पोर्शन की संरचना:-
इस पोर्शन में जिनकी ब्रीडिंग हो चुकी है अर्थात जो तीन-चार महीने की गर्भवती बकरियां है वह रहती है क्योंकि इसमें स्पेस घूमने फिरने के लिए काफी बड़ा और खुला होता है। यहां वह खाना भी ज्यादा खाती है। जब बकरियां ज्यादा घूमती फिरती अर्थात एक्सरसाइज करती है तो स्वास्थ्य रहती है तब उनको डिलीवरी में कोई दिक्कत भी नहीं होती। डिलीवरी का समय नजदीक आने पर इनको दूसरे नंबर के पोर्शन में ले जाते है तथा डिलीवरी के समय पहले पोर्शन में ले जाते हैं।
चौथा पोर्शन पोर्शन की संरचना:-
यह सबसे महत्वपूर्ण पोर्शन है, इसमें बकरियों के खाने संबंधित पदार्थ तैयार होते हैं। इसमें एक 7.5 एचपी मोटर का एक मिक्सर है, जिसमें एक बार में 500 किलो तक सूखा चारा मिक्स कर सकते हैं। इस सूखे चारे में गेहूं, चावल, मक्का, राई,सोयाबीन आदि को ग्राइंड कर उसमें सोडियम बाइकार्बोनेट अथवा फेरस मिक्स करते हैं जो बकरियों के पाचन और स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इसके अलावा हरा चारा भी दिया जाता है जिसमें मक्का, ज्वार, लोशन, दशरथ घास आदि गंडासे से काटकर दी जाती है। दिन में तीन बार चारा देते हैं, सुबह के समय सूखा चारा तथा दोपहर के समय साइलेज तथा शाम के समय हरा चारा भी दे देते हैं। इस पोर्शन में सूखे चारे का भंडार करने के लिए भी काफी जगह उपलब्ध है। पूरे फॉर्म में 600 से 700 भेड़ बकरियों के लिए प्रतिदिन लगभग 1 टन चारा और 300 किलो दाने तक की खपत हो जाती है।
सूखे चारे को पीसकर गुड और नमक वाले पानी में मिलाकर ड्राई फॉडर ट्रिटमेंट के तैयार करते है। 40 किलो गुड और नमक के पानी को दो से तीन दिन के लिए छोड़ देते हैं जिससे उसमें खमीर बन जाता है। फिर उस पानी को 100 किलो चारे में मिलाकर बकरियों को दिया जाता है। ये बहुत ही सुपाच्य और पौष्टिक पूर्ण दाना होता है। इनको खाने के लिए जितना अच्छा और पौष्टिक पूर्ण भोजन दिया जाता है यह उतनी तेजी से वृद्धि करते तथा इनका वजन बढ़ता है।
ब्रीडिंग:-
बकरी की ब्रीड कौन सी है इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है यदि हमारे पास अच्छी किस्म की बकरी है जैसे बोर ब्रीड तो यह आम बकरियों की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि करती है। यह 1 किलो चारा से मीट कन्वर्जन कम से कम 200 से 250 ग्राम तक करती है वहीं आम बकरियां में 1 किलो चारा खाने पर मात्र 50 से 60 ग्राम मीट कन्वर्जन ही होता है।
वैसे तो बकरियों की अनेकों ब्रीड है लेकिन इन्होंने मुख्यतः दक्षिण अफ्रीका की बोर ,बरबारी, बीटल और नारी स्वर्णा किस्म का पालन कर रखा है।
इनके पास एक बोर किस्म का ब्रीडर है जो 130 किलो का है यह लगभग 30 बकरियों को क्रॉस कर सकता है। बकरियों के उत्पादन में महत्वपूर्ण रोल ब्रीडर बकरे का ही होता है, जितनी अच्छी किस्म का और जितना तगड़ा ब्रीडर होगा उतने अच्छे उस बकरी से बच्चे होंगे। ऐसे ही डॉर्पर किस्म का भेड़ ब्रीडर जिसका वजन लगभग 100 किलो है इसका सीना बहुत चौड़ा होता है इसके द्वारा उत्पादित बच्चों का वजन बहुत तेजी से बढ़ता है। डॉरपर भेड़ का जठर आम भेड़ से लगभग 2 गुना बड़ा होता है अतः ये मीट कन्वर्जन ज्यादा करते हैं।
10 बकरियों से पालन शुरू करने की प्रक्रिया :-
यदि कोई देसी ब्रीड के बच्चा लें तो वह 8 से 10 हजार रुपए का आ जाता है इस तरह 10 मादा बच्चे 1 लाख के हो गए अब इनके लिए एक नर ब्रीडर बीटल किस्म का 15 हजार का तथा बोर किस्म का 20 हजार का नर बच्चा आ जाता है अर्थात 1 लाख 20 हजार के पशु आ गए। अब इनको रखने के लिए लगभग 30 हजार प्रतिवर्ष जगह किराया तथा 20 से 25 हजार का सूखा चारा और दाना की खपत होगी इसके अलावा 20 से 25 हजार का छोटा-मोटा इंफ्रास्ट्रक्चर और दवाई का खर्चा मान लो। कुल मिलाकर 10+1 पशुओं के लिए 2 लाख तक का खर्चा आ जाता है। वहीं 50 हजार तक का इमरजेंसी फंड भविष्य के लिए रख सकते हैं।
एक बकरी 8 महीने में औसतन दो बच्चे देती है (5 महीने का गर्भधारण काल और 3 महीने खाली रहती है) अतः ये 10 बकरियों 1 साल में लगभग 30 बच्चे तक उत्पादित कर सकती है। अब इन बच्चों को ब्रीडिंग के लिए भी सेल कर सकते हैं और मीट के लिए भी एक बच्चे को 30 किलो का सेल करें तो वह 10 हजार तक का बिक जाता है। अर्थात इस सेटअप से 1 साल में 3 लाख तक का मुनाफा कमाया जा सकता है।
वहीं यदि 10 अच्छी इंपोर्टेड ब्रीड वाली बकरियों से पालन शुरू करें तो ज्यादा मुनाफा होगा। क्योंकि ब्रीड वाली बकरियां ब्रीडिंग की दृष्टि से भी महंगी बिकती है। 15 हजार प्रति बीटल ब्रीड के 10 बच्चे ले तो उनसे जो 1 साल में 30 बच्चों का उत्पादन होगा उनमें एक बच्चा 15 हजार रुपए तक सेल होगा तो 4.5 लाख तक मुनाफा कमा सकते हैं। इन 10 पशुओं का पालन कोई युवक अकेले भी कर सकता है, अलग से किसी और व्यक्ति की जरूरत नहीं होगी।
यदि बकरी पालन में धीरे-धीरे आगे बढ़ा जाए तो निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। निलेश जी और किसान भाइयों को सलाह देते हुए कहते हैं कि यह व्यवसाय कोई नया नहीं है यह तो बहुत समय से चल रहा है और जिन लोगों को इसकी जानकारी है वह इसमें मोटा पैसा भी कमा रहे हैं। इस व्यवसाय के लिए मार्केट की भी कमी नहीं है क्योंकि कहीं भी गोट मीट मार्केट आसानी से मिल जाता है। इस व्यवसाय में मेंटेनेंस खर्च भी कुछ ज्यादा नहीं आता क्योंकि बकरियां में कोई ज्यादा प्रकार की बीमारियां नहीं पाई जाती जो छोटी-मोटी बीमारियां होती है उन्हें खुद दवाइयां देकर सही किया जा सकता है। इसके लिए कुछ प्रकार के डीवर्मार, स्परे, कुछ एंटीबायोटिक दवाइयां, इंजेक्शन और सर्जरी के लिए कुछ इंस्ट्रूमेंट रखे जाते हैं, जिसको छोटी सी ट्रेनिंग के बाद कोई भी आसानी से ट्रीटमेंट कर सकता है।
बकरियां में मुख्य रूप से सर्दी-गर्मी लगना, खांसी और कुछ इंफेक्शन जैसी बीमारियां आती है जो पैंकिलर और एंटीबायोटिक से ही सही हो जाते हैं। दूसरा अपाचन से संबंधित कुछ बीमारियां होती है जिसमें पेट फूल जाना, जुलाब डिसेंट्री जैसी बीमारीयां है। इनके लिए कुछ सामान्य दवाइयां है तथा कुछ बीमारियां डिलीवरी के समय हो जाती है जैसे थनैला संबंधित कुछ समस्याएं हैं इनका भी डॉक्टर की सलाह और ट्रीटमेंट से इलाज संभव है। आमतौर से बकरियों की पूंछ काट देना भी सही माना जाता है इससे डिलीवरी के समय इन्फेक्शन जैसी समस्याओं से बचाव होता है।
रिकॉर्ड मेंटेन :-
जब बहुत सारी बकरियां हो जाती है तो उनका रिकॉर्ड मेंटेन करने के लिए तालिका बनाई जाती है जिसमें बकरी का पहचान नंबर, वह कौन सी ब्रीड की है,उसकी जन्म तिथि,कब क्रॉस की गई थी,कब प्रेग्नेंट हुई , कब डिलीवरी हुई और उसके बच्चों की भी जानकारी आदि लिखी होती है। इससे सभी बकरियों का सकुशल ध्यान रखा जाता है।
निलेश जी के पास सभी ब्रीड का नर ब्रीडर भी उपलब्ध है। जब बकरियां हीट पर हो तो एक ब्रीडर 20 से 30 बकरियों को क्रॉस कर सकता है। यदि किसी किसान भाई को नीलेश जी से और जानकारी लेनी या संपर्क करना हो तो वह उनके मोबाइल नंबर Click 2 Goat Farm Number पर संपर्क कर सकता है, इनका पता: मलाड, तालुका- दौंड, ज़िला- पुणे (महाराष्ट्र) है।
दोस्तों निलेश जी से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला कैसे बकरी पालन कर सकते हैं। कितना कमाया जा सकता है तथा इसके अलावा और भी बहुत सारी जानकारियां ली। इस प्रकार की जानकारियों के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ। धन्यवाद॥
Comments in this topic: