भारत के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर किया कमाल बना दिया ऐसा रोबोट जो साफ सफ़ाई के मामले में सभी रोबोट को पीछे छोड़ता है। जिस काम को करने में बहुत सारे लोग लगते थे उसे यह अकेला ही चंद मिनटों में कर देता है और सफाई कर्मचारियों को नाले में भी नहीं उतरना पड़ता।

      जी हां दोस्तों! आपने बिल्कुल सही सुना अब मैनहोल, नाले या सिवरेज की सफाई करने के लिए इंसानों को उनके अंदर नहीं घुसना पड़ेगा। रोबोटिक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाली यह मशीन अंदर घुसकर सफाई करेगी। यह मशीन ऐसे खतरनाक वातावरण में सफाई कर्मचारियों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है।

             इस मशीन का नाम बैंडीकूट है जिसको जेनरोबोटिक कंपनी ने बनाया है। इसको चलाना भी बहुत आसान है, एक सफाई कर्मचारी आसानी से इसे संचालित कर सकता है। आईए देखते हैं यह किस प्रकार कार्य करती है



      इसमें मुख्यतः एक पंजे नुमा बकेट लगी हुई है जो मैन हॉल के अंदर घुस जाती है। इसमें बकेट के साथ एक आर.ओ. और एक सीजर लगी होती है जो सॉलिड और मोटे कूड़े-करकट और कीचड़ (सिल्ट) को भरकर अपने पंजे रूपी बकेट में दबोच बाहर ले आती है। इसमें पानी नीचे ही रह जाता है केवल सॉलिड सिल्ट ही बाहर आता है। इस बकेट की क्षमता 20 लीटर है अर्थात एक बार में 20 लीटर सिल्ट यह बाहर निकाल देती है। यह अधिकतम 30 फीट तक नीचे जाकर मैनहाल की सफाई कर सकती है। 

      इसको संचालित करने के लिए इसमें मुख्य रूप से चार कैमरे लगे हुए हैं जिसमें तीन कैमरे मैनहोल में नीचे तक जाते हैं जबकि एक कैमरा ऊपर लगा रहता है जो मैनहॉल के अंदर सेंटर तथा साइड की स्थिति को साफ तौर से डिस्प्ले पर दिखाते हैं तथा मशीन चालक आसानी से सिल्ट को कैप्चर करवा लेता है।

        इस रोबोटिक मशीन को ऑपरेट करना भी बहुत आसान है इसमें डिस्प्ले पर बहुत सारे बटन दिए होते हैं जिनकी सहायता से इसे निर्देशित कर कार्य करवाया जाता है। मुख्य रूप से इसमें मशीन के चारों लेग को नियोजित करने के लिए अलग-अलग बटन होते हैं, दूसरा मशीन की आर्म को नियोजित करने के लिए तथा बकेट को खोलना बंद करने के लिए अलग-अलग बटन दिए गए हैं। बकेट को ऊपर-नीचे ले जाने के लिए साइड में अलग से स्विच दिया गया है जिसे बड़ी आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है। इमरजेंसी में कोई इलेक्ट्रिक फाल्ट हो जाने पर इसमें दोनों साइड में एक-एक इमरजेंसी बटन दिए गए हैं जिसे दबाने पर मशीन पूर्णता बंद हो जाती है। इसमें दो लाइट होती है जो पूरी तरह से जलने पर संकेत करती है की मशीन सुचारू रूप से चल रही है तथा ब्लिंक करने पर संकेत करती है की मशीन में कोई फाल्ट है। इसमें दो से तीन किलो वाट का जनरेटर जुड़ा होता है।



      एक मशीन को संचालित करने के लिए मुख्यतः तीन लोगों की आवश्यकता होती है जिसमें एक व्यक्ति सिल्ट को साइड करने में तथा दूसरा संचालित करने में और तीसरा इमरजेंसी में सहयोग हेतु होता है। 

      यह कंपनी केरल की है जो 2017 से अपने इस अविष्कार पर कार्य कर रही है। भारत के शहरों के नगर निगम बड़ी तेजी से इसे अपने क्षेत्र में सफाई करने हेतु ला रहे हैं। अभी चार-पांच महीने से यह मशीन मेरठ में भी सफल रूप से सफाई कर रही है।