इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2017 से 15 अप्रैल तक चीनी का रिकार्ड उत्पादन 299.80 लाख टन का हो चुका है तथा उत्पादक राज्यों में अभी 227 चीनी मिलों में पेराई चल रही है। ऐसे में उद्योग का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 310 से 315 लाख टन होने का अनुमान है।



उत्तर प्रदेश के किसानों का बकाया ज्यादा

देशभर की चीनी मिलों पर मध्य अप्रैल तक ही गन्ना किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 18,000 करोड़ रुपये हो चुकी है इसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का 8,975 करोड़ रुपये, कर्नाटका के किसानों का 2,400 करोड़ और महाराष्ट्र के किसानों का 2,200 करोड़ रुपये है। चीनी मिलों द्वारा समय पर भुगतान नहीं करने से गन्ना किसानों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।


राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक ने कहां कि केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें चीनी मिलों के साथ मिली हुई है इसीलिए बकाया भुगतान लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में बकाया रिकार्ड स्तर 20,000 करोड़ को भी पार कर सकता है।



उत्पादन लागत से नीचे आ चुके हैं दाम

इस्मा के अनुसार बंपर उत्पादन होने के कारण चीनी की कीमतों में लगातार गिरावट बनी हुई है तथा पिछले 4 से 5 महीने में ही इसके भाव में करीब 9 रुपये प्रति किलो की गिरावट आ चुकी है। चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर उत्पादन लागत की तुलना में करीब 8 रुपये प्रति किलो नीचे आ गए हैं।



सरकार से मदद की अपील

चीनी उद्योग ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त चीनी उत्पादन के हिसाब से गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए मदद मांगी है। केंद्र सरकार ने 2015-16 में गन्ना किसानों को प्रति क्विंटल 4.50 रुपये सीधे किसानों के खाते में जमा किए थे जिससे उद्योग को बड़ी राहत मिली थी। मूल्य का यह अंतर गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) पर दिया गया था।