देश के किसान सड़क पर प्रदर्शन करने नहीं उतरेंगे, न पुलिस की जरूरत होगी, न ही प्रशासन की जरूरत होगी, किसी से हिंसा भी नहीं होगी… मगर किसानों का दावा है कि इस आंदोलन से सरकार को किसानों की अहमियत मालूम पड़ेगी… क्योंकि अब किसान सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गांव बंद करने जा रहे हैं यानि ये किसान छुट्टी पर जा रहे हैं।


पूर्ण कर्जमाफी और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत का डेढ़ गुना तय करने की मांगों को लेकर देश के युवा किसान अब सोशल मीडिया पर भी मुहिम शुरू करने जा रहे हैं। आम किसान यूनियन और किसान एकता के बैनर तले पहली जून से दस जून तक 'ग्राम बंद' का आयोजन किया जायेगा।


किसानों के अधिकारों के प्रति सरकार को जगाने के लिए अब देशभर के किसान सोशल मीडिया पर एकजुट होने की तैयारी में है। इसका आगाज भी हो चुका है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म टिवटर पर ‘गाँव_बंद’ और ‘गाँवबंद’ #ट्रेड कर सरकार को जगाने की शुरुआत भी हो चुकी है।


देश के 60 जमीनी किसान संगठनों का मंच ‘किसान एकता मंच’ और आम किसान यूनियन साथ मिलकर अपनी मांगों को इस नए प्लेटफॉर्म पर सरकार के सामने रखेंगे। किसानों का इस तरह से असहयोग आंदोलन करने का संभवत: यह पहला तरीका होगा।


मध्य प्रदेश के आम किसान यूनियन के नेता केदार सिरोही ने बताया कि अभी तक किसान आंदोलन सड़कों पर ज्यादा होते रहे हैं, लेकिन अब सोशल मिडिया पर भी किसानों की आवाज उठाई जायेगी। ट्विटर हैंडल के माध्यम से इस बारे में बताया जायेगा। उन्होंने बताया कि किसानों की पूर्ण कर्जमाफी हो, साथ ही फसलों के एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना तय किया जाये और किसानों की आय भी सुनिश्चित की जाये। किसानों को फसलों का उचित मूल्य भी नहीं ‌मिल रहा है जिस कारण किसान आत्महत्या जैसे कदम उठा रहा है


केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें किसानों की लगातार अनदेखी कर रही है। गांव बंद के दौरान किसान गांव में ही मौजूद रहेंगे लेकिन इस दौरान दूध के साथ फल, सब्जियों और खाद्यान्न की बिक्री नहीं की जायेगी। इसके अलावा शहर से दवाइयों को छोड़ अन्य वस्तुओं की खरीद भी किसानों द्वारा नहीं की जायेगी।