इंजीनियर से बने किसान:-

रजनीश चौधरी जी हुई बात चीत के अनुसार उन्होंने  इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेसन से इंजीनियरिंग की हुई है और 14 साल काफी बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनीयो में काम किया है। परन्तु इंजीनियर की नौकरी करने के बाद भी उन्हें वो संतुष्टि नहीं मिली जो वो चाहते थे,तो उन्होंने नौकरी छोड़के अपने गांव आने का फैसला किया और पिछले 2 सालों से वो अपने पैतृक गांव पतला जिला गाज़ियाबाद में open pond fish farming  कर रहें हैं। 


52 एकड़ जगह में करते हैं फिश फार्मिंग:-

रजनीश जी हमे बताते हैं की वो टोटल लगभग 52 एकड़ जमीन में मछली पालन करते हैं। उनकी खुद की जमीन हैं 22 एकड़ और 30 एकड़ जमीन को वो किराए पर लेकर फिश फार्मिंग करते हैं।


नौकरी छोड़ कैसे की शुरुआत मछली पालन की:-

हैलो किसान से हुईं बात चित में वो हमें बताते है की उन्हें पहले से ही नौकरी करने में कोई खास रुची नहीं थी। वो शुरुआत से ही कुछ अपना काम करना चाहते थे। नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने काफी समय तक इसकी रिसर्च की,काफी  राज्यों में घूमे बहुत सारे किसानो से मिले और फिर अंत में उन्हें लगा की मछली पालन ही उनके लिए सबसे बढ़िया व्यवसाय है।जिसे वो आराम से कर सकते हैं और काफी पैसा भी कमा सकते हैं,साथ में वो इसे एन्जॉय भी कर सके।  इसलिए उन्होंने शुरुआत की मछली पालन की और आज वो इससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।  


किन किन मछलियों का करते हियँ पालन:- 

रजनीश जी अपने फार्म पर मुख्यतः दो प्रजाति की मछलियों का पालन करते हैं, एक पंगास और दूसरी रोहू कतला जो की भारतीय कार्प मछली होती है।उनके अनुसार वो 60:40 के अनुपात में मछलियों का पालन करते हैं,60% पंगास और 40% रोहू। 


पंगास मछली:-

पंगास मछली मीठे पानी में पाली जाने वाली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रजाति है। यह प्रजाति 6-8 माह में 1.0 – 1.5 किग्रा की हो जाती है तथा वायुश्वासी होने के कारण कम घुलित आक्सीजन को सहन करने की क्षमता रखती है। भारत में आंध्रप्रदेश पंगास का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। शार्क मछलियों की तरह चमकदार होती है तथा इसे छोटे अकार में एक्वेरियम में भी पाला जा सकता है।


रोहू मछली :-

यह एक मुख्य भारतीय कार्प है, जो कि दक्षिणी एशिया में पायी जाती है और बहुत महत्तवपूर्ण है। यह Cyprinidae परिवार से संबंधित है। इसे रूइ, रूई या तापरा के रूप में भी जाना जाता है। इसका सिर छोटा, तीखा मुंह और निचला होंठ झालर की तरह होता है। शरीर का आकार लंबा और गोल, रंग भूरा सलेटी और लगभग लाल रंग के चाने होते हैं। पंखों और सिर को छोड़कर इसका पूरा शरीर स्केल से ढका होता है। रोहू के शरीर पर कुल 7 पंख मौजूद होते हैं। इसकी लंबाई ज्यादा से ज्यादा 1 मीटर होती है।


मछली पालन के फायदे:-

मछली पालन का फायदा उठाने के लिए सबसे जरुरी है अच्छा और साफ़ मछलियों का बीज, उसके बाद सही समय पर खाना और पानी का बदलाव यदि आप  ऐसा  करते है तो मछली पालन से ज्यादा मुनाफ़ा या फायदा उठा सकते है।  मछलियों में लगभग 70 से 80 प्रतिशत पानी, 13 से 22 प्रतिशत प्रोटीन, 1 से 3.5 प्रतिशत खनिज पदार्थ एवं 0.5 से 20 प्रतिशत चर्बी पायी जाती है। कैल्शियम, पोटैशियम, फास्फोरस, लोहा, सल्फर, मैग्नीशियम, तांबा, जस्ता, आयोडीन आदि खनिज पदार्थ मछलियों में उपलब्ध होते हैं जिनके फलस्वरूप मछली का आहार काफी पौष्टिक माना गया है।


निष्कर्ष:-

मछली जलीय पर्यावरण पर आश्रित जलचर जीव है तथा जलीय पर्यावरण को संतुलित रखने में इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आज के समय में जलीय पर्यावरण और कमाई के स्रोत को ध्यान में रखते हुए मछली पालन बहुत ही अच्छा विकल्प है। मछली पालन के बारे में और अधिक जानकारी लेने के लिए निचे दी गयी वीडियो के लिंक पर क्लिक करके जरूर देखें।